रविवार, 18 मार्च 2012

त्वचा की कान्तिः

पहला प्रयोगः नींबू का रस एवं छाछ समान मात्रा में मिलाकर लगाने से धूप के कारण काला हुआ चेहरा निखर उठता है।

दूसरा प्रयोगः राई के तेल में चने का आटा और हल्दी मिलाकर लगाने से त्वचा कान्तियुक्त होती है।

तीसरा प्रयोगः मक्खन एवं हल्दी का मिश्रण करके रात्रि को सोते समय मुँह पर लगाने से मुँह कान्तिवान एवं निरोगी होता है।

चौथा प्रयोगः चेहरे पर झुर्रियाँ हों तो दो चम्मच ग्लिसरीन में आधा चम्मच गुलाब जल एवं नींबू के रस की बूँदें मिलाकर मुँह पर रात्रि को लगायें। सुबह उठकर ठण्डे पानी से मुँह धो डालें। त्वचा का रंग निखरकर झुर्रियाँ कम हो जायेंगी।

पाँचवाँ प्रयोगः तुलसी के पत्तों को पीसकर लुगदी बनाकर मुँह पर लगाने से मुँहासों के दाग धीरे-धीरे दूर हो जाते हैं।

छठा प्रयोगः एक कप दूध को उबालें। जब दूध गाढ़ा हो जाये तब उसे नीचे उतार लें। उसमें एक नींबू निचोड़ दें तथा हिलाते रहें जिससे दूध व नींबू का रस एकरस हो जाय। फिर ठण्डा होने के लिए रख दें। रात को सोते समय इसे चेहरे पर लगाकर मसलें। चाहें तो एक-डेढ़ घण्टे के अन्दर चेहरा धो सकते हैं या रात भर ऐसा रहने दें। सुबह में चेहरा धो लें। इस प्रयोग से मुँहासे ठीक होते हैं। चेहरे की त्वचा कान्तिमय बनती है।

मुख की दुर्गन्धः धनिया चबाने से मुख की दुर्गन्ध दूर होती है।

त्वचा की ताजगीः
पहला प्रयोगः दूध एवं अरण्डी का तेल समान मात्रा में मिलाकर शरीर पर मालिश करने से त्वचा चमकदार होती है।

दूसरा प्रयोगः जौ के आटे को दही में मिलाकर पेस्ट बनाकर चेहरे एवं गले पर लगायें। 15 मिनट बाद गर्म पानी से साफ कर दें। इससे त्वचा में सफेदी आती है तथा त्वचा मुलायम हो जाती है।

शुष्क त्वचाः
पहला प्रयोगः हाथ-पैर की त्वचा फटने पर बड़ का दूध लगाने से शीघ्र आराम होता है।

दूसरा प्रयोगः आँवले के तेल में नींबू का रस समान मात्रा में मिलाकर लगाने से त्वचा की रूक्षता, झुर्रियाँ एवं कालापन मिटता है।

तीसरा प्रयोगः तेल मालिश के साथ सुबह 1 से 2 ग्राम तुलसी की जड़ तथा उतने ही सोंठ के चूर्ण को गर्म पानी के साथ निरंतर सेवन करते रहने से कोढ़ जैसे भयंकर रोग भी दूर होते हैं। यह प्रयोग त्वचा की रूक्षता एवं फटने के रोग को दूर करता है।

मुँह की खीलें (Pimples)-
पहला प्रयोगः जीरे या लौंग को पानी में अथवा जायफल को दूध में घिसकर लेप करने से खीलें मिटती हैं।

दूसरा प्रयोगः जामुन की गुठली को पानी में घिसकर लगाने से मुँहासों में लाभ होता है।

तीसरा प्रयोगः हरे पुदीने की चटनी पीसकर चेहरे पर सोते समय लेप करने से चेहरे के मुँहासे, फुन्सियाँ समाप्त हो जायेंगी।

खीलें होने पर तीखे, गर्म एवं चटपटे पदार्थों का सेवन बन्द कर दें।

बिवाई होने परः
प्रथम प्रयोगः चमेली के पत्तों के 400 मि.ली. रस को 100 ग्राम घी में मिलाकर गर्म करें। जब रस जल जाये तब उस घी को लगाने से बिवाई मिटती है।

दूसरा प्रयोगः ऐड़ी पर नींबू घिसने से बिवाई में लाभ होता है।

तीसरा प्रयोगः महुए के फल (टोली, डोरिया) का तेल लगाकर सिंकाई करने से अथवा कोकम का तेल लगाने से लाभ होता है।

होंठ फटने परः नाभि में नित्य प्रातः सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते अपितु फटे हुए होंठ मुलायम व सुंदर हो जाते हैं। साथ ही नेत्रों की खुजली व खुश्की दूर हो जाती है।

सौन्दर्य का खजानाः
पहला प्रयोगः खुली हवा में घूमने से, कच्ची हल्दी का सेवन करने से तथा सप्ताह में एक बार 2 से 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ लेने से सौन्दर्य बढ़ता है।

दूसरा प्रयोगः मसूर की दाल के आटे को शहद में मिलाकर लगाने से मुख सुन्दर होता है।

तीसरा प्रयोगः कोहनी की कठोरता एवं कालिमा को दूर करने के लिए रस निकले हुए आधे नींबू में आधी चम्मच शक्कर डालकर घिसें। कोहनी साफ और कोमल हो जायेगी।
 

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